सामाजिक >> आखिरी पन्ना आखिरी पन्नारवि रंजन सांकृत्यान
|
4 पाठकों को प्रिय 150 पाठक हैं |
मृत्युदंड की सजा पाये एक मुजरिम की अन्तर्व्यथा और मनौवैज्ञानिक विश्लेषण है।
|
लोगों की राय
No reviews for this book